National : एचआईवी जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों पर कोरोना बेअसर रहा है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल(आरएमएल) में इलाज करा रहे एड्स रोगियों पर हुए शोध के बाद यह जानकारी सामने आई है। अस्पताल की डेथ कमेटी की रिपोर्ट में पता चला है कि एचआईवी से पीड़ित मरीजों में से केवल दो रोगियों की मौत की कोरोना से हुई है। इससे यह आंकलन लगाया जा रहा है कि इन मरीजों पर महामारी का अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है।
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आरएमएल अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉ. पुलिन कुमार गुप्ता ने बताया कि कोरोना के आने से एचआईवी के मरीजों पर अधिक खतरा देखा जा रहा था और इनमें ज्यादा मृत्युदर का अंदाजा लगाया जा रहा था। हालांकि ऐसा नहीं हुआ है। इन मरीजों में मृत्युदर बेहद कम रही है। डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में एचआईवी के करीब आठ हजार मरीज इलाज करा रहे हैं। इनमें से आधे संक्रमित हुए थे, लेकिन मौत सिर्फ एक या दो मरीजों की ही हुई है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महामारी का एचआईवी मरीजों पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है।
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डॉ. कुमार ने कहा कि अध्ययन से यह साफ होता है कि कोरोना से जो मृत्युदर एक स्वस्थ आदमी में है, वहीं एचआईवी मरीजों में भी है। ऐसा नहीं हुआ है कि इन मरीजों में मृत्युदर बढ़ गई हो। एम्स ने पिछले साल एचआईवी मरीजों पर सीरो सर्वे किया था। सर्वे में 164 ऐसे मरीज शामिल थे जो एचआईवी से पीड़ित थे। इनमें से केवल 14 प्रतिशत में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई। उस समय दिल्ली में जो सीरो सर्वे हुआ था उसमें 25 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिली थी, जिससे पता चलता है कि आम लोगों की तुलना में एडस मरीज कम संक्रमित हुए थे। सर्वे में यह भी पता चला था कि एचआईवी मरीजों में कोरोना के बेहद हल्के लक्षण थे। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से एचआईवी मरीजों में मृत्युदर का न बढ़ना एक शोध का विषय है।
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